जब भगवान श्री कृष्ण गोकुल से मथुरा जाने लगे तब वह मथुरा जाने से पहले श्री राधा से मिलने के लिए गए तब श्री राधे रानी ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन प्रभु तो प्रभु है उन्होंने कर्म प्रधान का वर्णन करते हुए कहा कि अगर आज मै प्रेम विवश होकर वृंदावन में रुक गया तो जिन कार्यो को पूर्ण करने के लिए मैंने ये अवतार धारण किया है वो कार्य कैसे पूर्ण होंगे और राधे रानी को हर उस बात का उत्तर दिया जो प्रेम में विवश राधे रानी के मुख से निकल रही थी तब बातों बातों में राधे रानी ने कहा कि मैंने सुना है कि आप अपने भक्तों से बहुत प्रेम करते हो तो भगवान श्री कृष्ण ने कहा – बिल्कुल करता हु । फिर राधा ने कहा कि मैंने यह भी सुना है कि आप अपने भक्तों की हर इच्छा को भी पूर्ण करते हो तो प्रभु ने कहा -: हां बिल्कुल करता हूँ । तब श्री राधा ने कहा कि मै भी आपकी भक़्त हूँ और आपसे अत्यंत प्रेम करती हूँ क्या मथुरा जाने से पहले मेरी भी इच्छा पूर्ण करोगे । प्रभु ने कहा हां बिल्कुल करूँगा । तो राधा ने कहा पहले वचन दो की अवश्य पूर्ण करोगे । तब प्रभु ने मै आपको वचन देता हूँ जो मांगोगे वह अवश्य मिलेगा और कहा मांगो जो मांगना है तब राधा ने दो वचन मांगे एक तो यह कि मुझे इस मृत्युलोक छोड़ने से पहले आखरी बार आपकी चरण धुली प्राप्त हो और दूसरा कि आप वृंदावन छोड़कर नही जाओगे मेरे पास बैठकर यही मुरली बजाओगे तब प्रभु ने ध्यान मगन होते हुए कहा जैसी तुम्हारी आज्ञा – प्रभु ने वचन विवश होकर अपने भक़्त को दिए वचन का मान रखते हुए ही आज्ञा शब्द का इस्तेमाल किया ताकि राधा ही उन्हें मथुरा जाने की आज्ञा दे क्योकि राधा के मुख से प्रेम में विवश राधा का हृदय बोल रहा था तब श्री कृष्ण जी राधा की आज्ञा अनुसार वही पर बैठकर मुरली बजाने लगें जैसे ही भगवान श्री कृष्ण जी की मुरली के मधुर स्वर गूँजने लगें उसी समय सभी देवता शिव,ब्रह्मा इंद्र आदि सभी प्रकट हो गए और कहने लगे -: त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम , माता हमारी रक्षा करो , माता हम सभी आपकी संतान है अगर आज आपने प्रभु श्री कृष्ण को प्रेम विवश यहाँ बिठा लिया तो कंस जैसी राक्षसी शक्तियां हमारा नाश कर देगी और संसार मे अधर्म बढ़ जाएगा तब सभी देवताओं का आग्रह स्वीकार कर राधा माता ने भगवान श्री कृष्ण को मथुरा जाने की आज्ञा दी।