…एक बार श्री कृष्ण भगवान और श्री बलराम, ग्वाल बालों के साथ गौएँ चरा रहे थे • तब भूखे ग्वाल बालों ने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की- हमें बहुत ज़ोर से भूख सता रही है। इसे शान्त करने का कोई उपाय बताइए । तब श्री कृष्ण बोले यहाँ से थोड़े ही दूर पर वेद पाठी ब्राह्मण स्वर्ग की कामना से अंगरिस नाम का यज्ञ कर रहे हैं। तुम यज्ञशाला में चले जाओ। तुम वहाँ जाकर मेरा और बलराम जी का नाम लेकर थोड़ा सा भात एवं भोजन सामग्री ले आओ । ग्वाल बालों ने वहाँ पहुँच कर पृथ्वी पर गिरकर दण्डवत् प्रणाम किया और बोले- भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी की आज्ञा से हम आपके पास आए हैं। हमें भोजन के लिए भात की सामग्री चाहिए। उन ब्राह्मणों ने गोप बालकों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। जब उन ब्राह्मणों ने हाँ या ना में कुछ नहीं कहा तो वे लौट आए और उन्होंने श्री कृष्ण और बलराम से वहाँ की सब बात बता दी । भगवान श्री कृष्ण ने कहा – इस बार तुम उनकी पत्नियों के पास जाओ और उनसे कहना कि बलराम व कृष्ण आए हैं। आप उनके लिए कुछ भोजन प्रदान करें। अबकी बार वे उनके पास जाकर बोले- यहाँ से थोड़ी दूरी पर श्री कृष्ण आए हुए हैं। उनके एवं गोप बालकों के लिए कुछ भोजन दे दीजिए। श्री कृष्ण के आने की बात सुनकर उन्होंने चारों प्रकार की सामग्री लेकर तथा भाई बन्धु, पति, पुत्रों के रोकने पर भी नहीं रुकीं और अपने प्रियतम भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए चल दीं । वहाँ पहुँचने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा महाभाग्यवति देवियों ! तुम्हारा स्वागत है । आओ बैठो। तुम लोग हमारे दर्शन की इच्छा से यहाँ आई हो। मैं तुम्हारे प्रेम का अभिनन्दन करता हूँ । अब तुम लोग मेरे दर्शन कर चुकी हो । अतः अब अपनी यज्ञशाला को लौट जाओ। क्योंकि तुम्हारे पति तुम्हारे साथ मिलकर ही अपना यज्ञ पूर्ण कर सकेंगे। तुम अपना मन मुझ में लगा दो। तुम्हें बहुत जल्दी ही मेरी प्राप्ति हो जाएगी । जब भगवान श्री कृष्ण ने इस प्रकार उन्हें समझाया तो वे ब्राह्मण पत्नियाँ यज्ञशाला में लौट गईं। उन ब्राह्मणों ने श्री कृष्ण का तिरस्कार किया था । अतः उन्हें अपने अपराध की स्मृति से बड़ा पश्चाताप हुआ और उनके हृदय में श्री कृष्ण बलराम के दर्शनों की तीव्र इच्छा हुई परन्तु कंस के डर से उनका दर्शन करने न जा सके ।