भक्तों जैसे किसी भी वस्तु साधन आदि के निर्माण के लिए या उसको चलाने के लिए उसका एक आधार बनाया जाता है वैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने इस ब्रह्माण्ड को सही व समानान्तर रूप से चलाने के लिए इसका एक भाग धर्म बनाया है धर्म ही इस ब्रह्माण्ड का आधार है ओर उसी तरह माया भी इस ब्रह्माण्ड एक भाग है भगवान श्री कृष्ण द्वारा बनाई गई इस माया का आभास हम कर सकते है लेकिन यह माया हमे तब समझ मे आती है जब समय व्यतीत हो जाता है कोई भी कार्य भगवान द्वारा बनाए गए समय या विधि अनुसार होता है भक्तों विधि का विधान समय के अनुसार पहले ही निश्चित होता है वह किसी मनुष्य या प्राणी के बदलने से नही बदलता और यही समय विधि के अनुसार निरन्तर चलता रहता है जिससे पुराने यगों का अंत और नए युगों का निर्माण होता रहता है इसी तरह प्रत्येक युग मे भगवान का अवतार भी विधि के अनुसार अवश्य होता है यह अवतार भगवान तब धारण करते है जब उस युग मे मनुष्य विज्ञान की चरम सीमा पर पहुँचकर खुद को भगवान से भी सर्वशक्तिमान समझने लग जाता है और उसके द्वारा किए गए कार्यो से धरती पर अधर्म ज्यादा बढ़ जाता है तब भगवान किसी न किसी रूप को धारण कर उन अधर्मियों का नाश कर धर्म की स्थापना करते है और वहीं से एक नए युग का भी प्रारंभ शुरू हो जाता है