जिस वंश में कृष्ण प्रकट हुए वह यदुवंश कहलाता है। यह यदु वंश सोम अर्थात् चन्द्रलोक के देव से चला आ रहा है। राजवंशी क्षत्रियों के दो मुख्य कुल हैं-एक चन्द्रलोक के राजा से अवतरित है (चन्द्रवंशी) तथा दूसरा सूर्य के राजा से अवतरित (सूर्यवंशी) है। जब जब भगवान् अवतरित होते हैं, तब प्रायः वे क्षत्रिय कुल में प्रकट होते हैं क्योंकि उन्हें धर्म की संस्थापना करनी होती है। वैदिक प्रणाली के अनुसार क्षत्रिय कुल मानव जाति का रक्षक होता है। जब भगवान् श्री रामचन्द्र के रूप में अवतरित हुए, तो वे सूर्यवंश में प्रकट हुए, जो रघुवंश के नाम से विख्यात था। और जब वे कृष्ण के रूप में प्रकट हुए तो यदुवंश में हुए। श्रीमद्भागवत के नवम स्कंध के चौबीसवें अध्याय में यदुवंशी राजाओं की एक लम्बी सूची दी गई है। वे सभी महान् शक्तिशाली राजा थे। कृष्ण के पिता का नाम वसुदेव था, जो यदुवंशी सूरसेन के पुत्र थे। वस्तुत: भगवान् इस भौतिक जगत के किसी भी वंश से सम्बन्धित नहीं हैं लेकिन वे जिस कुल में जन्म लेते हैं उनकी कृपा से वह कुल विख्यात हो जाता है।