जब नन्हें श्री कृष्ण गोकुल आए, तो गोकुल में उत्सव का माहौल अत्यंत आनंदमय और हर्षोल्लास से भरा हुआ था। यह क्षण एक दिव्य और अद्वितीय आनंद का स्रोत था।
गोकुल के उत्सव का वर्णन:
1. प्रकृति की आभा:
नंद बाबा और यशोदा मैया के घर में श्री कृष्ण का आगमन मानो प्रकृति के लिए भी एक उल्लास का कारण बन गया। चारों ओर सुखद वायु बह रही थी, और वृक्षों ने अपनी शाखाओं पर फूल खिला दिए। पक्षी मधुर गीत गाने लगे।
2. ग्रामीणों का उत्साह:
गोकुल के सभी निवासी इस खुशी के पल में सम्मिलित हुए। नंद बाबा और यशोदा मईया ने अपने पुत्र जन्म की खुशी में एक भव्य उत्सव का आयोजन किया। ढोल-नगाड़ों की ध्वनि गूंज उठी और लोग नृत्य व गायन में मग्न हो गए।
3. दही-हांडी और माखन-मिश्री:
दही और मक्खन से भरे मटके तोड़कर लोगों ने अपनी खुशी व्यक्त की। माखन, जो श्री कृष्ण का प्रिय था, गांव में बड़े पैमाने पर बांटा गया।
4. दान और भंडारा:
नंद बाबा ने ब्राह्मणों को वस्त्र, धन और भोजन का दान दिया। गांवभर में मिठाइयों और पकवानों का वितरण हुआ।
5. श्री कृष्ण की झलक:
नन्हें श्री कृष्ण को देखकर हर कोई आनंदित हो रहा था। वे अपनी चंचल मुस्कान और दिव्य आभा से सबका मन मोह रहे थे। यशोदा माता का आंगन खुशी से गूंज रहा था।
गोकुल में श्री कृष्ण का आगमन केवल एक बालक का जन्म नहीं था, यह ब्रह्मांड के पालनहार का अवतरण था। यह उत्सव आज भी जनमानस में एक दिव्य स्मृति के रूप में जीवित है।