श्री कृष्ण वंश , श्री राम वंश

जिस वंश में कृष्ण प्रकट हुए वह यदुवंश कहलाता है। यह यदु वंश सोम अर्थात् चन्द्रलोक के देव से चला आ रहा है। राजवंशी क्षत्रियों के दो मुख्य कुल हैं-एक चन्द्रलोक के राजा से अवतरित है (चन्द्रवंशी) तथा दूसरा सूर्य के राजा से अवतरित (सूर्यवंशी) है। जब जब भगवान् अवतरित होते हैं, तब प्रायः वे …

श्री राधाकृष्ण प्रेम कथा

श्री राधा जी को जब यह पता चला कि कृष्ण पूरे गोकुल में माखन चोर कहलाता है तो उन्हें बहुत बुरा लगा, उन्होंने कृष्ण को चोरी छोड़ देने का बहुत आग्रह किया। पर जब कृष्ण अपनी माँ की ही नहीं सुनते तो अपनी प्रियतमा की कंहा सुनते । उन्होंने माखन चोरी की अपनी लीला को …

धर्म

भक्तों जैसे किसी भी वस्तु साधन आदि के निर्माण के लिए या उसको चलाने के लिए उसका एक आधार बनाया जाता है वैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने इस ब्रह्माण्ड को सही व समानान्तर रूप से चलाने के लिए इसका एक भाग धर्म बनाया है धर्म ही इस ब्रह्माण्ड का आधार है ओर उसी तरह …

हमे किसकी पूजा करनी चाहिए

प्रभु भक्तों अगर पूजा करनी है तो भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें क्योकि भगवान श्री कृष्ण ही सर्वशक्तिमान है जो लोग भिन्न भिन्न देवताओं व पितरों की पूजा करते है वह उन देवताओं पितरों की पूजा से मनवांछित फल तो प्राप्त कर सकते है लेकिन भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त नही कर सकते । …

गंगा कैसे प्रकट हुई

गंगावतरण – अंशुमान ने गंगा जी को लाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की, परन्तु उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी वैसी ही तपस्या की, परन्तु उन्हें भी सफलता नहीं मिली। समय आने पर उनकी भी मृत्यु हो गई। दिलीप के पुत्र भागीरथ ने भी बड़ी तपस्या की। उनकी …

श्री राम कथा , राम चरित्र , सीता हरण , रावण वध , लव – कुश चरित्र

खटवांग के पुत्र दीर्घबाहु, दीर्घबाहु के पुत्र रघु, रघु के पुत्र अज और अज के पुत्र दशरथ हुए। देवताओं की प्रार्थना पर साक्षात् परब्रह्म श्रीहरि अपने अंशांश से चार रूप धारण करके राजा दशरथ के पुत्र हुए। उनके नाम थे – राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न । जब ये युवा हो गए तब विश्वामित्र जी …

नारद जी कौन थे नारद जी किसके पुत्र थे नारद जी किसका भजन करते है

एक बार की बात है कि जब श्री वेदव्यास जी वेदों का विभाजन कर रहे थे तो श्री नारद जी वहाँ पधारें। नारद जी को आया देख उनके • स्वागत के लिए श्री वेद व्यास जी उठकर खड़े हो गए। उन्होंने देवताओं द्वारा सम्मानित देवर्षि नारद जी की पूजा अर्चना की। व्यास जी बोले- नारद …

वासुदेव देवकी विवाह , कंस द्वारा देवकी की हत्या का प्रयास, वासुदेव का कंस को वचन देना

एक बार शूरसेन के पुत्र वसुदेव देवकी को ब्याह कर अपनी नवपरिणीता पत्नी के साथ रथ पर चढ़कर अपने घर जा रहे थे । देवकी के पिता, देवक, ने प्रचुर दहेज दिया था, क्योंकि वह अपनी पुत्री को अत्यधिक चाहता था। उसने सैकड़ों रथ दिये थे, जो पूर्णतया स्वर्णमण्डित थे। उस समय उग्रसेन का पुत्र …

कामनाओं की पूर्ति के लिए किन देवताओं की पूजा करें

मनुष्य को अपनी इच्छा पूरी करने के लिए घर मे निम्नलिखित देवताओं की उपासना करनी चाहिए :जिस व्यक्ति को ब्रह्मतेज की आवश्यकता हो उसे बृहस्पति जी की उपासना करनी चाहिए। जिस व्यक्ति को सन्तान की इच्छा हो उसे प्रजापतियों की उपासना करनी चाहिए। जिस व्यक्ति को लक्ष्मी की इच्छा हो उसे कुबेर और वरुण की …

श्री कृष्ण गोवर्धन लीला , श्री कृष्ण गिरिराज धरण , श्री कृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ा

भगवान श्री कृष्ण ने चौपाल में जाकर नंदरॉय, उपन्द आदि गोपों को स्पष्ट शब्दों में कह दिया, बाबा आज से ब्रज में देवराज इंद्र की पूजा नहीं होगी बल्कि गिरिराज गोवर्धन की पूजा होगी। यदि आप लोगों ने मेरी बात नहीं मानी तो वृन्दावन छोड़कर चला जाऊँगा फिर कभी लौट कर नहीं आऊँगा। श्रीकृष्ण का …

श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन लीला क्यो की

भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत प्रिय नैमित्तिक लीला होती है *श्री गोवर्धन लीला*। गोवर्धन लीला के दो कारण है एक है अतंरंग कारण और दूसरा बह्या कारण। बाह्या करण में भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त समुदाय को, पूरे संसार को ये संदेश देना चाहते हैं कि जो वैष्णव हैं, मेरी पूजा करते हैं उसे अन्य अन्य …

श्री राधेकृष्ण प्रेम लीला

एक बार श्री कृष्ण और श्री राधा जी एक वन में खेल रहे थे। भगवान श्री कृष्ण और राधा जी दोनों वहाँ पर अकेले थे। इस बीच श्री कृष्ण जी ने राधा जी को एक बरगद के पेड़ के पीछे ले जाकर उनकी आँखों को अपनी पीतांबर से बांध कर उनको वही पर खड़े रहने …

देवासुर संग्राम कहानी , देवताओं और दैत्यों के बीच संग्राम की कहानी

देवासुर संग्राम पहले भी कई बार हुआ एक बार दानवों और दैत्यों को अमृत न मिलने का अपार दुःख हुआ तथा उनका क्रोध बढ़ गया । वे अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र लेकर देवताओं से युद्ध करने लगे। देवताओं और दैत्यों में भीषण संग्राम होने लगा, जिसे इतिहास में देवासुर संग्राम कहते हैं। रणभूमि में रथियों के साथ …

श्री कृष्ण नामकरण , श्री कृष्ण बाल लीला , श्री कृष्ण माखन चोरी लीला

एक दिन यदुवंशियों के कुल पुरोहित श्री गर्गाचार्य नन्दबाबा के घर पधारे। उन्हें देखकर नन्दबाबा ने खड़े होकर उनके चरणों में प्रणाम किया। उन्होंने गर्गाचार्य जी से निवदेन किया कि मेरे इन दोनों बालकों का नामकरण संस्कार गर्गाचार्य जी ने कहा- यह रोहिणी का पुत्र है । इसलिए इसका एक नाम रौहिणेय और दूसरा नाम …

श्री कृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध कैसे किया और पूतना का पूर्व जन्म

पूतना नाम की एक बड़ी क्रूर राक्षसी थी। उसका एक ही काम था, बच्चों को मारना । कंस की आज्ञा से एक दिन वह नन्दबाबा के गोकुल के पास जाकर उसने अपने को एक सुन्दर युवती में परिवर्तित कर लिया और गोकुल में प्रवेश कर गई । वह अनायास ही नन्दबाबा के घर में घुस …

श्री कृष्ण भगवान का जन्म कब हुआ श्री कृष्ण भगवान की माता कौन थी श्री कृष्ण जी ने किस कारण अवतार लिया

कंस स्वयं बली था और उसे मगध नरेश जरासंध की सहायता बड़ा प्राप्त थी। इसके अतिरिक्त उसके साथी थेप्रलम्बासुर, बकासुर, चाणूर, तृणावर्त, अधासुर, मुष्टिक, अरिष्टासुर, द्विविद, पूतना, केशी, और धेनुक तथा बाणासुर और भौमासुर आदि बहुत से दैत्य राजा उसके सहायक थे । इनको साथ लेकर वह यदुवंशियों को नष्ट करने लगा। वे लोग भयभीत …

श्री कृष्ण भगवान की शक्तियां , गुण

भगवान की माया ने स्वयं के काल, कर्म और स्वभाव को स्वीकार किया है। काल के तीन गुणों में क्षोभ पैदा हुआ। स्वभाव ने उन्हें रूपान्तर कर दिया। कर्म ने महत्तत्व को जन्म दिया। रजोगुण तमोगुण की वृद्धि होने पर महत्तत्व का विकार हुआ। इससे क्रिया, ज्ञान और द्रव्य रूपत्त्व, त्तम का प्रधान विकार हुआ। …

श्री कृष्ण भगवान का शरीर

पुरुषोत्तम भगवान संसार की उत्पत्ति, पालन और प्रलय की लीलाओं को करने हेतु सत्व, रज और तमोगुण रूपी तीन शक्तियों को स्वीकार कर ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप धारण करते हैं। पंच महाभूतों से इन शरीरों का निर्माण करके इनमें जीव रूप से शयन करते हैं और पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ, पाँच प्राण प्राण …

भगवान का प्रकट होना

प्रभु भक्तों ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान नारायण के पास सत्व, रज और तम तीन शक्तियाँ हैं। उन्होंने पृथ्वी को जल से ऊपर लाने के लिए वराह का शरीर धारण किया । जब हिरण्याक्ष आदि देव भगवान से युद्ध करने आया तो उन्होंने अपनी दाढ़ी से उसके टुकड़े-टुकड़े करके मार गिराया। भगवान ने रुचि …

श्री मद्भागवत

प्रिय भक्तों भागवत का वर्णन इस प्रकार है कि कल्प में सत्यवती के गर्भ से व्यास के रूप में भगवान ने प्रकट होकर भागवत पुराण की रचना की थी । इसी भागवत पुराण में सर्ग, विसर्ग, स्थान, पोषण, अति, मन्वन्तर, इशानु, निरोध, मुक्ति, आश्रय इन दस विषयों का वर्णन है । भगवान की प्रेरणा से …

श्री कृष्ण भगवान द्वारा बनाई गई सृष्टि का वर्णन

प्यारे भक्तों सृष्टि का वर्णन इस प्रकार है। कि विराट भगवान जब ब्रह्माण्ड को छेदकर प्रकट हुए तो रहने के लिए स्थान को तलाशने लगे । तब उन्होंने जल की सृष्टि की। विराट पुरुष के नर से उत्पन्न होने के कारण जल का नाम नार पड़ा। एक हज़ार वर्षों तक नगर में रहने के कारण …

ब्रह्मा द्वारा भगवान की तपस्या कर सृष्टि निर्माण करना

भक्तों ब्रह्माजी की निष्कपट तपस्या से प्रसन्न होकर आदिदेव भगवान ने उन्हें दर्शन देकर अपना रूप प्रकट किया और आत्मतत्व के ज्ञान के लिए सत्य परमार्थ वस्तु का जो उपदेश दिया उसे सुनो – ब्रह्माजी ने अपने जन्म स्थान कमल पर बैठकर सृष्टि की रचना करने का विचार किया । तब प्रलय के समुद्र में …

ब्रह्मा जी को विष्णु भगवान के द्वारा प्राप्त हुआ वैदिक ज्ञान

एक बार जब सभी देवताओं ने श्रीभगवान् की स्तुति पुरुष-सूक्त द्वारा कर ली, तो उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। अतः ब्रह्माजी स्वयं ध्यान करने में लग गए और तब भगवान् विष्णु ने उन्हें एक सन्देश भेजा। ब्रह्मा ने इस सन्देश को देवताओं तक प्रेषित कर दिया। वैदिक ज्ञान प्राप्त करने की यही विधि है। यह …

प्रत्येक व्यक्ति सत्य की खोज में और सत्य है भगवान श्री कृष्ण

भक्तों प्रत्येक व्यक्ति सत्य की खोज में लगा है। यही जीवन को दार्शनिक रीति है। देवतागण जानकारी देते हैं कि परम सत्य कृष्ण ही हैं। जो पूर्णत: कृष्णभावनाभावित हो जाता है, वह परम सत्य को प्राप्त कर सकता है। कृष्ण ही परम सत्य है। शाश्वत काल की तीन अवस्थाओं में सत्य हैं, सापेक्ष सत्य नहीं …

यशोदा द्वारा भगवान विष्णु की कठोर भक्त्ति

श्री कृष्ण भक्तों माता यशोदा ने भगवान विष्णु की अत्यंत कठोर भक्त्ति की थी, जब माता यशोदा अपने पूर्व जन्म में धरा नाम की स्त्री थी तब भगवान विष्णु ने उनकी भक्त्ति से प्रसन्न होकर उन्हें चतुर्भुज रूप में दर्शन दिए और देवी धरा को मनवांछित वर मांगने को कहा तब देवी धरा ने श्री …

श्री कृष्ण भगवान का शिशु रूप में गोकुल आगमन

भक्तों जब भगवान श्री कृष्ण शिशु रूप में गोकुल आये थे तो बहुत ही भव्य उत्सव हुआ था सभी गोकुल वासी हर्षोउल्लास से भर गए थे क्योकि नंद बाबा को बहुत समय पश्चात पुत्र की प्राप्ति हुई थी और नंद गोकुल व अन्य आसपास के गांवों व गवालो के मुखिया थे नंद जी ने पुत्र …

ब्रह्माण्ड ॐ शब्द से बना है।

श्री कृष्ण भक्तों यह पूरा ब्रह्मांड भगवान श्री कृष्ण ने ॐ शब्द से बनाया हुआ है भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकल रहे इस ॐ शब्द में कोटि सूर्य और चंद्रमा , अंगिनत तारे , करोड़ो आकाशगंगाए व ग्रह आदि है जोकि उनके ही संकल्प मात्र से उतपन्न और नष्ट होते रहते है अर्थात …

भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पूर्व इस धरती पर क्या हो रहा था

श्री कृष्ण भगवान के जन्म से पूर्व जब धरती राक्षसी शक्तियों और पापियों के आक्रांत से त्राहि त्राहि हो रही थी तब ब्रह्मा ,शिव और सभी देवतागण एकत्र होकर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे विनम्र निवेदन कर कहने लगे कि हे प्रभु आप ही इस जगत के जन्म दाता ,पालन कर्ता और संहारक …

श्री कृष्ण भगवान ने इस ब्रह्माण्ड को चलाने के लिए धर्म को बनाया आधार

भक्तों जैसे किसी भी वस्तु साधन आदि के निर्माण के लिए या उसको चलाने के लिए उसका एक आधार बनाया जाता है वैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने इस ब्रह्माण्ड को सही व समानान्तर रूप से चलाने के लिए इसका एक भाग धर्म बनाया है धर्म ही इस ब्रह्माण्ड का आधार है ओर उसी तरह …

श्री कृष्ण भगवान का मथुरा जाने से पहले अपनी प्रियतम राधा जी से अनोखा मिलन

जब भगवान श्री कृष्ण गोकुल से मथुरा जाने लगे तब वह मथुरा जाने से पहले श्री राधा से मिलने के लिए गए तब श्री राधे रानी ने उन्हें रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन प्रभु तो प्रभु है उन्होंने कर्म प्रधान का वर्णन करते हुए कहा कि अगर आज मै प्रेम विवश होकर वृंदावन में …

श्री नारायण भगवान ने किस प्रकार नारद जी का अहंकार तोड़ा

एक बार भगवान नारायण अपनी शेष नाग सईया पर ध्यान मगन लेटे हुए थे । उसी समय नारद मुनि नारायण नारायण करते हुए वहाँ पहुँचे और नारायण भगवान को प्रणाम किया । लेकिन नारायण भगवान ध्यानमग्न ही रहे । जब नारदमुनि काफी समय तक नारायण भजन करते रहे तब काफी समय बाद नारायण भगवान ने …

भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मा का कैसे मान भंग किया और फिर उनको उपदेश दिया वर्णन

एक बार द्वापर युग मे भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ वन में गईया चरा रहे थे तो गईया चराते चराते हुए सभी बाल ग्वालों को भूख लगी तो सभी अपने परम सखा श्री कृष्ण कन्हइया को कहने लगे मित्र हमें भूख लगी है चलो भोजन करते है इसलिए सभी जो कुछ अपने …

भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने भक्तों की कैसे रक्षा करते है इस वर्णन में देखिए

भक्तों भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते है इसका प्रमाण यह है कि जब भस्मासुर ने शिव जी से किसी के भी ऊपर हाथ रखकर उसको भस्म करने का वरदान प्राप्त किया तो भस्मासुर ने वरदान प्राप्त कर सबसे पहले पार्वती माता पर ही कुदृष्टि डाल दी । ऐसा देख शिव जी …

यशोदा और नंद जी का पूर्व जन्म

भक्तों यशोदा मईया अपने पूर्व जन्म में धरा नाम की स्त्री और नंद द्रोण नाम के राजा थे जब इनको सत्य का ज्ञान हुआ तब ये दोनों अपने राज पाठ को छोड़कर विष्णु भगवान के तप हेतु वन में एक कुटिया बनाकर रहने लगे द्रोण और धरा दिन रात भगवान विष्णु का ध्यान करते और …

पृथ्वी, ब्रह्मा, शिव और अन्य देवताओं का भगवान विष्णु के पास जाकर प्रार्थना करना

एक बार यह संसार ऐसे राजाओं की अनावश्यक सैनिक शक्ति से बोझिल हो गया, जो वास्तव में असुर थे, किन्तु अपने आपको राजा मान रहे थे। तब सारा संसार विक्षुब्ध हो उठा और पृथ्वी की अधिष्ठात्री देवी, जिसे भूमि कहते हैं, इन आसुरी राजाओं से उत्पन्न अपनी विपदाओं को बताने के लिए ब्रह्माजी के पास …

देवताओं और असुरों का अमृत के लिए समुद्र मंथन करना

जब असुरों ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली तो उस समय दुर्वासा ऋषि के शाप से तीनों लोक और स्वयं इन्द्र भी श्रीहीन हो गए। इस पर समस्त देवता सुमेरु पर्वत के शिखर पर ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने देखा कि सब देवता श्रीहीन हो गए हैं और असुर फल-फूल रहे हैं। ब्रह्माजी …

श्री कृष्ण जी की यज्ञ पत्नियों पर कृपा

…एक बार श्री कृष्ण भगवान और श्री बलराम, ग्वाल बालों के साथ गौएँ चरा रहे थे • तब भूखे ग्वाल बालों ने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की- हमें बहुत ज़ोर से भूख सता रही है। इसे शान्त करने का कोई उपाय बताइए । तब श्री कृष्ण बोले यहाँ से थोड़े ही दूर पर वेद …

श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन धारण और इंद्र यज्ञ निवारण

श्री कृष्ण बलराम जी के साथ वृन्दावन में तरह-तरह की लीलाएँ करते रहते थे। उन्होनें एक दिन देखा कि सब गोप इन्द्र यज्ञ की तैयारी कर रहे हैं। श्री कृष्ण ने नन्दबाबा से पूछा- सब लोग किस चीज़ की तैयारी कर रहे हैं? नन्द बाबा बोले- बेटा! भगवान इन्द्र वर्षा करने वाले सम्पूर्ण सुरवसागर मेघों …