भगवान श्री कृष्ण का गोकुल से वृन्दावन जाना और वत्सासुर एवं बकासुर का उद्धार - जब नन्द बाबा आदि बड़े बूढ़े गोपों ने देखा कि गोकुल में बड़े-बड़े उत्पात होने लगे हैं जो बच्चों के लिए बहुत ही अनिष्टकारी हैं इसलिए हमें कहीं दूसरे स्थान पर चले जाना चाहिए । पास में ही वृन्दावन नाम का एक वन है। उसमें छोटे-छोटे हरे-भरे वन हैं, पवित्र पर्वत और हरी-भरी लता-वनस्पतियाँ हैं। हमारे पशुओं के लिए भी हितकारी हैं । सब लोगों ने विचार कर गायों, बछड़ों को आगे कर छकड़ों में अन्य सामान रखकर श्री कृष्ण और बलदाऊ के साथ वृन्दावन को चल दिए। वन में प्रवेश करके ग्वालों ने अपने छकड़ों को अर्द्धचन्द्रकार मण्डल में बाँधकर खड़ा कर दिया। वृन्दावन का हरा-भरा वन, अत्यन्त मनोहर गोवर्धन पर्वत और यमुना नदी के सुन्दरसुन्दर पुलिनों को देखकर भगवान श्री कृष्ण और बलराम के हृदय में उत्तम प्रीति का उदय हुआ। एक दिन की बात है कि कृष्ण और बलराम अपने प्रेमी सखा ग्वाल बालों के साथ यमुना तट पर गाय बछड़ों को चरा रहे थे। उसी समय उन्हें मारने की इच्छा से एक दैत्य आ गया । भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि वह बनावटी बछड़े का रूप धारण कर हमारे बछड़ों के झुंड में शामिल हो गया है। वे आँखों के इशारे से बलराम को दिखाते हुए धीरे से उसके पास पहुँच गए। उन्होंने पूँछ के साथ उसके पिछले दोनों पैर पकड़ कर आकाश में घुमाया, और मृत्यु हो जाने पर कैथ के वृक्ष पर पटक दिया। ग्वाले वाह-वाह करके कन्हैया की प्रशंसा करने लगे। देवता भी प्रसन्न होकर फूलों की वर्षा करने लगे। इस प्रकार उन्होंने वत्सासुर का उद्धार किया। कभी-कभी वे तड़के ही उठकर कलेवे की सामग्री ले लेते और बछड़ों को चराते हुए एक वन से दूसरे वन सम्पूर्ण सुखसागर में घूमा करते । एक दिन की बात है कि ग्वाल बालों ने देखा कि वहाँ एक बहुत बड़ा जीव बैठा है जिसे देखकर वे डर गए। वह बक नाम का एक बड़ा भारी असुर था जो बगुले का रूप धारण कर आया था। उसकी चोंच बड़ी तीखी थी और बड़ा बलवान था उसने झपट्टा मारकर श्री कृष्ण को निगल लिया। सब ग्वाल यह देखकर अचेत हो गए। इधर जब श्री कृष्ण बगुले के तालु के नीचे पहुँचे तब वे आग के समान उसका तालु जलाने लगे। इस पर उस दैत्य ने श्री कृष्ण को तुरन्त उगल दिया और अपने कठोर चोंच से उन पर वार करने लगा। वह कंस का मित्र बकासुर था । इस पर श्री कृष्ण ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों ठोर पकड़ कर बीच में से चीर डाला। सब ग्वालों ने भगवान श्री कृष्ण को गले लगाया। इस प्रकार उन्होंने बकासुर का उद्धार किया।- Shri Krishna