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भगवान के मत्स्यावतार की कथा - भगवान गौ, ब्राह्मण, साधु, देवता, वेद, धर्म और अर्थ की रक्षा हेतु शरीर धारण करते रहते हैं। पिछले कल्प के अन्त में ब्रह्माजी के सो जाने के कारण ब्राह्म नामक नैमिति का प्रलय हुआ। समस्त लोक समुद्र में डूब गए। उस समय ब्रह्माजी के मुख से वेद प्रकट हुए जिन्हे ह्यग्रीव नामक दैत्य ने चुरा लिया सर्वशक्तिमान भगवान श्रीहरि ने ह्यग्रीव की यह चेष्टा देखकर मत्स्यावतार ग्रहण किया। उस समय सत्यव्रत नामक राजर्षि जल पीकर तपस्या कर रहे थे। उसी समय उनकी अंजलि में एक मछली का बच्चा आ गया । वह मछली को नदी में डालने ही वाले थे कि मछली बोली – मैं जल के अन्दर रहने वाले जन् ... Read more

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