श्रीकृष्ण भगवान का अवतार द्वापर युग में हुआ था। उनके जन्म की तिथि को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन रोहिणी नक्षत्र में अर्द्धरात्रि के समय माना जाता है। इस पावन दिन को जन्माष्टमी के रूप में जाना जाता है।

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, जहां उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी को कंस ने कारागार में बंदी बनाकर रखा था। उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य अधर्म का नाश करना और धर्म की पुनर्स्थापना करना था। उनके जन्म के समय आकाश में चमत्कारिक घटनाएं घटित हुईं, और दिव्य शक्ति का अनुभव हुआ।

जब श्रीकृष्ण भगवान ने मथुरा के कारागार में वसुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में अवतार धारण किया, तब उनकी स्तुति करने के लिए कई देवता वहाँ उपस्थित हुए। प्रमुख देवताओं में शामिल थे:

1. ब्रह्मा: ब्रह्माजी ने श्रीकृष्ण की स्तुति की और कहा कि वे संसार के रचयिता के रूप में विष्णु के इस अवतार की महिमा को समझते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण से अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए आग्रह किया।

2. शिव: शिवजी ने श्रीकृष्ण के जन्म के समय अपनी भक्ति प्रकट की और उनकी स्तुति करते हुए कहा कि यह अवतार जगत की भलाई के लिए है। उन्होंने उनकी बाल लीलाओं को देखने की इच्छा भी व्यक्त की।

स्तुति का कारण:

1. अधर्म का नाश: देवताओं ने कंस और अन्य राक्षसों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की थी। श्रीकृष्ण का अवतार अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था।

2. भक्तों की रक्षा: श्रीकृष्ण का अवतार उनके भक्तों की रक्षा के लिए था। देवताओं ने यह जानते हुए उनकी स्तुति की कि वे पृथ्वी पर धर्म की रक्षा करेंगे और पापियों का विनाश करेंगे।

3. दैवीय योजना का हिस्सा: श्रीकृष्ण का अवतार दैवीय योजना का हिस्सा था। देवताओं ने यह समझा कि उनका आगमन पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनकी स्तुति उनके आगमन का स्वागत करने और उनके कार्यों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए थी।

इन देवताओं की स्तुति ने यह स्पष्ट किया कि श्रीकृष्ण का अवतार दैवीय शक्तियों के संरक्षण और धर्म की स्थापना के लिए था। उनका जन्म संपूर्ण जगत के कल्याण के लिए हुआ था।

3. इन्द्र: इन्द्रदेव ने भी श्रीकृष्ण की स्तुति की और यह माना कि वे देवताओं के संरक्षक हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म को अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के रूप में देखा।

4. सप्तर्षि: सप्तर्षियों ने श्रीकृष्ण के अवतार की सराहना की और उनके आने को पृथ्वी पर शांति और समृद्धि का संकेत माना। उन्होंने वसुदेव और देवकी को आशीर्वाद दिया कि उनका पुत्र संसार को पापों से मुक्त करेगा।

5. देवगण: अन्य देवताओं ने भी कारागार में आकर श्रीकृष्ण की स्तुति की। उन्होंने कहा कि वे साक्षात् विष्णु हैं और उनके अवतार का उद्देश्य पृथ्वी से अत्याचार का अंत करना है।

इन सभी देवताओं ने मिलकर श्रीकृष्ण की स्तुति की और उन्हें धर्म की पुनर्स्थापना के लिए धन्यवाद दिया। उनकी उपस्थिति और स्तुति ने यह स्पष्ट किया कि श्रीकृष्ण का अवतार दैवीय योजना का हिस्सा था।