शंख चूड़ उद्धार - एक दिन भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी रात्रि के समय गोपियों के साथ विहार कर रहे थे। उसी समय वहाँ शंखचूड़ नाम का एक यक्ष आया । वह कुबेर का अनुचर था। दोनों भाइयों के देखते-देखते वह गोपियों को लेकर उत्तर दिशा की ओर भाग चला। उसी समय दोनों भाई भी उसके पीछे दौड़े। यक्ष ने जब देखा कि काल और मृत्यु के समान दोनों भाई मेरे निकट आ गए हैं तो उसने गोपियों को छोड़ दिया और अपने प्राण बचाने को भागा । श्री कृष्ण भी उसके पीछे दौड़ते गए। वे चाहते थे कि उसके सिर की चूड़ामणि निकाल लें। कुछ ही दूर जाने पर भगवान ने उसे पकड़ लिया और उसके सिर पर कसकर घूंसा मारा तो चूड़ामणि के साथ उसका सिर धड़ से अलग हो गया। श्री कृष्ण ने चूड़ामणि को निकाला और ब्रज में लौट आए। उन्होंने वह मणि बलराम जी को दे दी । इस प्रकार उन्होंने शंखचूड़ का उद्धार किया।- Shri Krishna